Mumbai
2020 में नही विराजेंगे लालबाग के राजा / 86 साल में पहली बार होगा ये,
मुंबई. कोरोना महामारी के चलते देश के सबसे मशहूर गणपति 'लालबाग के राजा' का इस साल आगमन नहीं होगा। आपको बता दे जिस जगह 'लालबागचा राजा' की मूर्ति स्थापित होती है, उससे कुछ ही दूरी पर कंटेनमेंट ज़ोन है। 86 सालों में ऐसा पहली बार है जब लालबाग के राजा नहीं विराजेंगे।वर्षो से चली आ रही इस परंपरा को खंडित करने का फैसला लेना इतना आसान नहीं था। इसके लिए लालबाग कमेटी के करीब 1200 सदस्यों ने ज़ूम एप्प पर करीब 3 घंटे तक अपने अपने सुझाव रखे जिसके बाद ये फैसला लिया गया कि 'लालबाग के राजा' को इस साल नहीं विराजने का फैसला हुआ।
- हर दिन लाखों लोग करते हैं 'लालबाग के राजा' के दर्शन
हर दिन लाखो श्रद्धालु लालबाग के राजा के दर्शन करने आते हैं। मौजूदा देश के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, अमिताभ बच्चन के अलावा देश के बड़े उद्योगपति या फिर राजनीतिक शख्शियत सभी हमेशा से ही लालबाग के राजा के दर्शन करने आते रहे हैं। मुंबई की इस सबसे मशहूर गणपति के प्रति लोगों की आस्था की वजह से ही इसके विसर्जन का जुलूस सुबह से शुरू होता है और विसर्जन स्थल तक पहुंचने में लगभग 19 घंटे तक का समय लग जाता है। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। बप्पा के विसर्जन यात्रा के दौरान कई लाख लोग शामिल होते हैं।
रात 9 बजे शुरू हुई बैठक 12 बजे तक चली
86 सालों से चली आ रही लालबाग के राजा के आगमन की परंपरा को स्थगित करने का निर्णय लेना लालबाग का राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल के सदस्यों के लिए आसान नहीं था। मंडल के सचिव सुधीर साल्वी के मुताबिक हमलोगों ने एक बैठक की, इसमें हमारे 1200 सदस्य शामिल हुए। जूम एप पर हुई मीटिंग की शुरुआत रात 9 बजे हुई और यह 12 बजे तक चली। इसमें यह तय हुआ कि 22 अगस्त से शुरू हो रहे गणेशोत्सव के दौरान लालबाग के राजा की स्थापना नहीं की जाएगी क्योंकि “लालबाग के राजा” की मूर्ति जिस स्थान पर स्थापित की जाती है उससे थोड़ी ही दूर पर कोरोना संक्रमित मरीज पाए जाने की वजह से उस इलाके को बीएमसी ने सील कर दिया गया है।
गणेशोत्सव के स्थान पर इस बार मनाया जाएगा 'स्वास्थ्य उत्सव'
मंडल के सचिव सुधीर साल्वी कहते हैं- हम 'देश ही देव' मानते हैं। लिहाजा जब मुंबई सहित पूरे देश में कोरोना का संकट है, तो हमने यहां आने वाले श्रद्धालुओं, पुलिस कर्मियों और मनपा कर्मियों के स्वास्थ्य को महत्व दिया है। लालबाग के राजा को मानने वालों की संख्या लाखों में है। यदि हमने मूर्ति स्थापित की तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। इससे कोरोना का संक्रमण फैलने का डर है। इसलिए हम इस बार मूर्ति स्थापना नहीं करेंगे। हम इस बार स्वास्थ्य उत्सव के रूप में गणेशोत्सव मनाएंगे।
केईएम अस्पताल के साथ मिलकर आयोजित करेंगे प्लाज्मा डोनेशन कैंप
साल्वी ने कहा, 'केईएम अस्पताल के साथ मिलकर इस बार हमलोग स्वास्थ्य उत्सव मनाएंगे। इस दौरान प्लाज्मा डोनेशन कैंप लगाएंगे। प्लाज्मा डोनेट करने आने वाले व्यक्ति की स्क्रीनिंग की जाएगी और उसका डेटा तैयार किया जाएगा।' उन्होंने यह भी बताया कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के परिजन का सम्मान किया जाएगा। इसके अलावा, कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 25 लाख रुपए का चेक मंडल की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया जाएगा।
क्यों खास है लालबाग के राजा?
लालबाग के राजा की मूर्ति हर साल एक जैसी रहती है। हालांकि, थीम बदल दी जाती है। मूर्ति बनाने में करीब एक लाख रुपए की लागत आती है। मूर्ति की ऊंचाई करीब 12 फीट के करीब होती है। हालांकि जिस तरह महाराष्ट्र में लगातार कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे है ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि लोगों की सुरक्षा को देखते हुए और भी मंडल इस बार गणपति की मूर्ति नही स्थापित करेंगे